मादा जनन तंत्र: अंडवाहिनी ,गर्भाशय, आंतरिक संरचना , सहायक जनन ग्रंथियां
मादा जनन तंत्र: अंडवाहिनी ,गर्भाशय, आंतरिक संरचना , सहायक जनन ग्रंथियां;
टीएनएससीईआरटी के आधार पर मादा जनन तंत्र का फुल डीटेल्स
मादा जनन तंत्र:अंडवाहिनी ,गर्भाशय, आंतरिक संरचना , सहायक जनन ग्रंथियां;
स्त्री जनन तंत्र के अंतर्गत एक जोड़ा अंडाशय के साथ साथ एक जोड़ा अंडवाहिनी , एक गर्भाशय , और एक गर्भाशय ग्रीवा तथा एक योनि एंड बाह्य janendrinya शामिल होते है जनन तंत्र के ये अंग एक जोड़ा स्तन ग्रंथियों से जुड़ा होता है या ग्रंथियों के संरचनात्मक तथा क्रियात्मक रूप से संयोजित होते है
![]() |
मादा जनन तंत्र:अंडवाहिनी ,गर्भाशय, आंतरिक संरचना , सहायक जनन ग्रंथियां |
जिसके फलस्वरूप अण्डोत्सर्ग , निषेचन ,सगर्भतआ शिशुजन्म तथा शिशु की देख भाल की प्रक्रियाओ में सहायता मिलती है
अंडाशय स्त्रीं के प्राथमिक लैंगिक अंग है जो स्त्री युग्मक और कई स्टेरॉयड हार्मोंश उत्पन्न करते है उदार के निचले भाग के दोनों ओर एक एक अंडाशय स्थित होता है प्रत्येक अंडाशय की लंबाई 2 से 4 सेमी के लगभग होती है और
यह श्रोणि भित्ति तथा गर्भाश्य से स्नायुओं द्वारा जुड़ा होता है प्रत्येक अंडाशय एक पतली उपकला से ढका होता हिअ जो कि अंडाशय पीठिका से जुड़ा हुआ होता है यह पीठिका दो क्षेत्रो – एक प्रिध्ये वल्कुट और आंतरिक मध्यांश से विभक्त हुआ होता है
अंडवाहिनिया , गर्भाशय तथा योनि मिलकर स्त्री सहायक नलिका बनाती है प्रत्येक डिम्बवाहिनी नाली लगभग 10 से 12 सेमि लंबी होती है जो प्रत्येक अंडाशय परिधि से चलकर गर्भाशय तक पहुचता है
अंडाशय के ठीक पास डिंब वाहिनी का हिस्सा कीप के आकार का होता है जिससे किपक कहा जाता है इसकी कीपक किनारे अंगुली सदृश्य पर छेद होते हैं मतलब अंगुली के जैसे संरचना दिखाई देती है जिसे झालर भी कहते हैं
अंडोत्सर्ग के दौरान अंडाशय में उत्सर्जित अंडाणु को संग्रह करने में यह झालर सहायक होते हैं कीपक आगे चलकर एंडवाहिनी के एक जोड़े भाग में खुलता है जिसे टुम्बिका कहते हैं आडवाहिनी का अंतिम भाग संकीर्ण पथ मैं एक संकरी अवकाशिका का होती है जो गर्भाशय को जोड़ती है
स्त्रियों के अंदर गर्भाशय की संख्या एक होती है और गर्भाशय को बच्चेदानी भी कहा जाता है गर्भाशय का आकार उल्टी रखी नाशपत्ति जैसा होती है यह स्रोनी भित्ति से snayao द्वारा जुड़ा होता है गर्भाशय एक पतली ग्रीवा द्वारा योनि में चलता है ग्रीवा की गुहा को ग्रीवा नाल कहते हैं जो योनि के साथ मिलकर जन्म नाल की रचना करती है
गर्भाशय की भित्ति ऊतकों की तीन परत वाली होती है
बाहरी पतली झिल्लिमय अस्तर को पर गर्भाशय मध्य मोटी चिकनी पेशीय अस्तर को गर्भाशय पेशी स्तर और आंतरिक ग्रंथि अस्तर को गर्भाशय अंता स्तर कहते हैं जो गर्भाशय
गुहा को अस्तित्व करती है आवर्त चक्र के दौरान गर्भाशय के अंतर में चक्रीय परिवर्तन होते हैं जब के गर्भाशय पेशी अस्तर में परसों के समय काफी तेज संकुचन होते हैं
स्त्री के वाह्य जननेंद्रिय के अंतर्गत जघन शैल , बृहद भगोष्ठ , लघु भगोष्ठ , योनिच्छद और भगशेफ आदि होते है जघनशैल बनी एक वसामय ऊतकों से बनी एक गद्दी से होती है जो त्वचा और बालों से ढकी हुई होती है बृहद
भगोष्ठ ऊतक का मशाल बलन है जो जघन शैल नीचे टास्क फैले हुये होते है और योनि द्वार घेरे रहते हैंलघु भगोष्ठ ऊत्तक का एक जोड़ा वलन होता है और यह बृहद भगोष्ठ के नीचे स्थित रहता है योनि द्वार पर आया एक पतली झिल्ली जिसे योनिच्छद कहते है